Thursday, July 7, 2011

सत्ता मे काबिज होने का संघर्ष अब राहुल और मायावती.........?

सत्ता मे काबिज होने का संघर्ष अब राहुल और मायावती.........?


उ.प्र. २०१२ के चुनाव और सत्ता मे काबिज होने का संघर्ष अब राहुल और मायावती के संघर्ष मे बदलाता जा रहा है , राहुल की यू.पी . की यात्रा मायावती को फूटी आँख नहीं सुहा रही हैं और राहुल हैं की आये दिन माया राज मे बिना बताएं आ जाते है , और अपनी पार्टी की स्थितयां मजबूत बनाने की कोशिशें कर माया को चुनोतियाँ देने में लगे हैं .
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चूँकि पशिच्मी उ.प्र. के किसान , मायावती सरकार के आधिकारियों की मनमानी और किसान विरोधी नीतियों के कारण छुब्ध और पीड़ित थे और उन्हे पुलिस की लाठी गोली से बचने के साथ साथ कोई ऐसा नेता चाहिए था जो उन्हे नेत्रत्व दे कर उनकी मांगों को ऊपर तक पहुंचा सके और ये काम राहुल गाँधी ने कर दिखाया . बस फिर क्या था , किसानों को नेता मिल गया और राहुल गांधी को अपनी राजनीति चमकाने का एक सुनहरा मौका .चूँकि राहुल काग्रेस पार्टी की एक बड़े नेता हैं , इसलिए उनकी कही बातों को केंद्र सरकार गंभीरता से लेती है .
 साथ ही २०१२ के उ.प्र. के होने वाले चुनावों के मद्देनज़र कांग्रेस पार्टी को भी किसान और राहुल ( की जोड़ी ) में उ. प्र . मे सत्ता की बागडोर फिर से अपने हाथ मे वापस आने सपना साकार होता नज़र आ रहा है , इसलिए कांग्रेस ने भी अपने युवराज के पीछे पूरी ताकत झोंक देने मे ही अपनी भलाई समझी .
नौ जुलाई को अलीगढ मे होने जा रही कांग्रेस की ” किसान पंचायत ” को इसी नज़र से देखा जाना चाहिए .
राहुल गांधी द्वारा भट्टा- पारसोल के मुद्दे को ले कर दुबारा शुरू की गयी , न्याय यात्रा की बी एस. पी द्वारा की जा रही आलोचना तो समझ में आने वाली बात है , मगर भाजपा के सांसद और पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह द्वारा राहुल गांधी की पदयात्रा को तमाशा , नौटंकी बताना न केवल आश्चर्यजनक है बल्कि समझ से परे है .
लगता है क़ि उ.प्र. के चुनावों (२०१२) को देखते हुए , सतारूढ़ बसपा के साथ ही अन्य पार्टियाँ भी , राहुल गांधी के पदयात्रा को पचा नही पा रही हैं , हालाकिं अभी यह कह पाना बड़ा ही कठिन है क़ि राहुल को मिल रहा समर्थन वोटों में तब्दील हो सकेगा 
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यह सच है क़ि किसानों के बीच जा कर राहुल ने एक नयी शुरुआत की है परन्तु राहुल को मिल रहा समर्थन अभी उसी तरह हैं जैसे क़ि किसी सेलिब्रेटी को अपने बीच पा कर लोग उत्साहित हो जाते हैं .परन्तु सेलिब्रेटी के जाने के बाद सब उसे भूल जाते हैं , ठीक इसी तरह से राहुल की यात्रा को देखा जाना चाहिए