Sunday, April 4, 2010

Sania Mirza

सानिया मिर्ज़ा  और शोएब  मालिक  की  शादी पर
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अनावश्यक हाय  तोबा क्यूँ
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आज कल भारत के समाचारपत्र और टी वी चैनलों  , में सानिया  मिर्जा  की     शादी की खबरे इस तरह  छापी और दिखाई जा रही हैं जैसे कोई राष्ट्रीय संकट आ खड़ा हुआ है ,अपनी अपनी टी आर पी बढ़ाने के लिए  न जाने कन्हा कन्हा से  चटपटी  खबरें  तलाश  तलाश  कर पाठकों और  दर्शकों  के लिए  परोसी  जा रही हैं . 
पता नहीं  क्यूँ  मीडिया  सानिया मिर्जा की शादी  के  पीछे  पागल सा हो गया है , उसे सब तरफ सानिया - सानिया ही दिखाई दे रही है .
सानिया  की शादी एक सामान्य विवाह  है , इसमें ऐसा  कुछ  भी नही है , जिसे इतना तूळ दिया जाये , मगर मीडिया की मानसिकता को क्या कहें की उसे सानिया और सिर्फ सानिया  ही दिखाई दे रही ही , उसकी शादी में क्या -क्या खाना परोसा जायेगा से ले कर , छोटी से छोटी  बाते इस तरह से छापी और दिखाई जा रही हैं , मानो कोई राष्ट्रीय मुद्दा / संकट आ खड़ा हुआ है , जिस पर किसी राष्ट्रीय बहस की ज़रूरत आ पड़ी है. 
एक अरब से ज्यादा आबादी वाले भारत में गरीबी , भूख , शिक्षा के  अलावा  जल संकट , बिजली संकट , कुपोषण , नक्सली समस्या , आतंकवाद  के अलावा दर्जनों  ऎसी समस्याएं  भरी पड़ीं हैं , जिन पर बहुत कुछ  लिखे  जाने की ज़रूरत हैं , पर ये सब ख़बरें अख़बारों और टी वी की टी आर पी बढ़ाने में मददगार साबित नहीं होती , इस लिए मीडिया हाउसों को इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं लगता .
आखिर भारत का मीडिया जा किधर रहा है , उसका लक्ष्य क्या है और वह पाना क्या चाहता है , क्या उसका लक्ष्य सिर्फ पैसा कमाना रह गया है , मिशन नाम की चीज , कहीं  किनारे छुट गयी है .
समाज सेवा और राष्ट्र सेवा अब सिर्फ बैठकों , लेखों  और  स्पीच  की परिभाषाओं  में कैद हो कर रह गयें हैं .
अच्छा हो की मीडिया सानिया मिर्जा की शादी  के पीछे पड़ने के एक सूत्री कार्यक्रम  त्याग कर उन ज़रूरी समस्याओं की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करे जिससे जन  सामान्य के साथ साथ देश का भी भला हो , और सानिया को जहाँ भी  जिस के साथ शादी करना हो करने दे , वो किस से और  कब  शादी करती है , इस से कोई फर्क  पड़ने नहीं जा रहा .


इस लिए  सानिया को उसके अपने हाल  पर छोड़ दें , उसे जो करना ही वो करने दें . 

2 comments:

  1. मुश्किल बात है लोग चटखारे वाली ख़बरें बड़े चाव से पढ़ते सुनते हैं इसी पर मीडिया की दूकान अच्छी चलती है कोइ हया शर्म का ठेका इन्होने तो ले नहीं रखा

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  2. When Sachin scored a double century in the one day, media started talking only about Sachin for days. I wrote two lines on that;

    Sachin ne Gwalior me kya rakha paon hai;
    Dekho bhai chal pari channels ki nao hai.

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